
वंदे भारत लाईव टीवी न्यूज़
धार म. प्र.
स्कूल मान्यताओं में चल रहा भ्रष्टाचार का खेल, जिला शिक्षा केंद्र में 447 प्रकरण कर रखे
लंबित ,डीपीसी और बीआरसी पर भेंटपूजा के बाद मान्यताएं जारी करने के आरोप पहले भी मान्यताओं के लिए दस हजार रिश्वत लेते लिपिक कैमरे में हुई थी कैद
राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल द्वारा निजी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों को मान्यताएं देने के लिए जिला स्तर पर डीपीसी को अधिकृत किया है लेकिन जिला शिक्षा केंद्र में डीपीसी एवं अन्य ने इसको लाभ का धंधा बना लिया है। बीआरसी भी इसमें जमकर चांदी काट रहे हैं । लगभग 447 स्कूलों की मान्यताएं जिला शिक्षा केंद्र में निर्धारित समय अवधि बीत जाने के बाद भी लंबित करके रखी गई है। निजी स्कूलों के संचालकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर आरोप लगाया है कि जब निजी स्कूल बीआरसी से प्रकरण अनुमोदित करवा कर जिला शिक्षा केंद्र में डीपीसी के पास भिजवा देता है तो उसे डीपीसी अपने स्तर पर प्रकरण को रोक लेते हैं तथा बाद में जब बीआरसी के माध्यम से या स्कूल का संचालक जब तक डीपीसी से मिल कर भेंट पूजा नहीं कर देता है तब तक जिला शिक्षा केंद्र से मान्यताएं जारी नहीं की जाती हैं।वैसे आपको बता दे कि बीआरसी के माध्यम से डीपीसी तक प्रकरण यदि स्कूल संचालक सेटिंग न करना चाहे तो जिला शिक्षा केंद्र में एक प्यून भी आपका काम करवाने के लिए डीपीसी ने छोड़ रखा है जिसके माध्यम से भी आप अपना काम भेट पूजा कर करवा सकते हैं। ऐसे स्कूलों के संचालक जो भेंट पूजा करने में असमर्थ है उनकी मान्यताएं अभी तक किसी न किसी कारणवश लंबित करके रखी गई है भले ही वे सभी मानदंड पूरे करते हो। बीआरसी भी भेट चढ़ने के बाद ही प्रकरण को डीपीसी की तरफ फॉरवर्ड करता है।
राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल द्वारा निजी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों को मान्यताएं देने के लिए जिला स्तर पर डीपीसी को अधिकृत किया है लेकिन जिला शिक्षा केंद्र में डीपीसी एवं अन्य ने इसको लाभ का धंधा बना लिया है। बीआरसी भी इसमें जमकर चांदी काट रहे हैं । लगभग 447 स्कूलों की मान्यताएं जिला शिक्षा केंद्र में निर्धारित समय अवधि बीत जाने के बाद भी लंबित करके रखी गई है। निजी स्कूलों के संचालकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर आरोप लगाया है कि जब निजी स्कूल बीआरसी से प्रकरण अनुमोदित करवा कर जिला शिक्षा केंद्र में डीपीसी के पास भिजवा देता है तो उसे डीपीसी अपने स्तर पर प्रकरण को रोक लेते हैं तथा बाद में जब बीआरसी के माध्यम से या स्कूल का संचालक जब तक डीपीसी से मिल कर भेंट पूजा नहीं कर देता है तब तक जिला शिक्षा केंद्र से मान्यताएं जारी नहीं की जाती हैं।वैसे आपको बता दे कि बीआरसी के माध्यम से डीपीसी तक प्रकरण यदि स्कूल संचालक सेटिंग न करना चाहे तो जिला शिक्षा केंद्र में एक प्यून भी आपका काम करवाने के लिए डीपीसी ने छोड़ रखा है जिसके माध्यम से भी आप अपना काम भेट पूजा कर करवा सकते हैं। ऐसे स्कूलों के संचालक जो भेंट पूजा करने में असमर्थ है उनकी मान्यताएं अभी तक किसी न किसी कारणवश लंबित करके रखी गई है भले ही वे सभी मानदंड पूरे करते हो। बीआरसी भी भेट चढ़ने के बाद ही प्रकरण को डीपीसी की तरफ फॉरवर्ड करता है।
ये है निर्धारित मापदंड राज्य शिक्षा केंद्र ने निजी स्कूलों को मान्यता देने के लिए जो मानदंड निर्धारित किए है उनमें रजिस्टर् डभवन किरायानामा , सोसाइटी का जीवित पंजीयन, प्रशिक्षित शिक्षकों की जानकारी, शिक्षकों के नियुक्ति आदेश, ऑडिट की रिपोर्ट, खेल का मैदान, अग्निशमन यंत्र, बस की व्यवस्था, आरटीई के तहत 25% बच्चों की संख्या, भवन का आंतरिक और बाहरी फोटो, शौचालय का फोटो, लाइब्रेरी का फोटो, रैंप और रेलिंग की व्यवस्था ,बिजली , फर्नीचर की उपलब्धता, तंबाकू नियंत्रण शपथ पत्र आदि प्रमुख हैं।
मान्यताओं में होता है लाखों का खेल. निजी स्कूलों की मान्यता दिए जाने में भ्रष्टाचार के चलते लाखों का खेल खेला जाता है। विगत कुछ वर्ष पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में महेंद्र शर्मा प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी था और ऐसे ही मान्यताओं के खेल में उसके कार्यालय की मान्यता प्रभारी लिपिक रुपए दस हजार की रिश्वत लेकर रंगे हाथों कैमरे में कैद हुई थी । बाद में लिपिक को निलंबित कर दिया गया था और प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी महेंद्र शर्मा को बचाकर प्रकरण पर लीपा पोती कर दी गई थी क्योंकि भ्रष्टाचार के हमाम में सब नंगे हैं। निजी स्कूल संचालकों ने डीपीसी और बीआरसी के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की है। इनका है कहना —. जिला शिक्षा केंद्र में निजीस्कूलों की मान्यताओं के 691 प्रकरण आए हैं जिनमें से 244 की मान्यता जारी की है। 447 स्कूलों की मान्यता अभी लंबित है। भ्रष्टाचार जैसी कोई बात नहीं है।—प्रदीप खरे, डीपीसी, जिला शिक्षा केंद्र धार।
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